RESEARCH JOURNAL
विश्वविद्यालय की शोधपविका ‘कला सौरभ’
कला-सौरभ विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण शोधपत्रिका है।इसका प्रथम अंक 1972 में प्रकाशित हुआ था। इसके प्रथम प्रधान संपादक वरेण्य साहित्यकार डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र थे। प्रारंभ में ये छः मासिक थी। कालान्तर में वार्षिक प्रकाशित होने लगी ।इसमें विश्विद्यालय में पढ़ाए जा रहे संगीत, चित्रकला,लोकसंगीत , हिन्दी - संस्कृत - अंग्रेजी साहित्य ,योग ,पुरातत्व ,प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृत विषयों के अभिनव आयामों को प्रत्यक्ष करने वाले शोधलेखों का प्रकाशन होता आया है। पिछले दो अंकों से इसे आई.एस. एस. एन. क्रमांक प्राप्त हो गया है तथा पिछले अर्थात अंक पंचदश से इसने रेफ्रीड जनरल का स्वरूप भी प्राप्त कर लिया है।
ISSN : 0976 - 2566
अंक पंचदश सि - 2015
विश्वविद्यालयीन रेफरीड शोध - पविका
(University Refereed Research Journal)
Kala Vaibhav (कलावैभव)
01. प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृत एवं पुरातत्व विभाग,इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय , खैरागढ़ की वार्षिक शोध जर्नल कला वैभव में इतिहास,कला , संस्कृति,पुरातत्व,संगीत , नृत्य तथा साहित्य आदि से संबंधित मौलिक शोध लेखों को प्रकाशित किया जाता है।
02. शोधपत्र हिन्दी अथवा अंग्रेजी में भेजे जा सकते हैं। हिन्दी के शोधपत्र kruti Dev 16,Font size 16 में तथा अंग्रेजी के शोधपत्र Times New Roman, Font size 12 में टंकित होना चहिए। संपूर्ण लेख में एक ही Font का उपयोग होना चाहिए।
03. शोधपत्र की साफ्ट एव हार्ड कॉपी दोनो भेजना अनिवार्य है। साफ्ट एवं हार्ड कॉपी kalavaibhav@iskv.ac.in तथा संपादक, कला - वैभव,प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ छ.ग. पिन - 491881 पर 30 नवंबर 2020 तक प्रकाशनार्थ प्रेषित किया जा सकता है।
04- शोध - लेख में आवश्यकतानुसार स्पष्ट छायाचित्र / रेखाचित्र पूर्ण विवरण के साथ संलग्न किया जावें।
05- शोध - लेख के प्रेषित प्रिंट प्रति के प्रत्येक पृष्ठ पर लेखक अनिवार्य रूप से अपना हस्ताक्षर करें।
06- शोध - लेख के अंत में संदर्भ ग्रंथ/जर्नल का उल्लेख मानक अनुसार अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।
अंक 27 (वर्ष 2020-21)
विभागीय शोध जनषल (रेफरीड)
प्रधान संपादक
Kala Sourabh
डॉ. मंगला नन्द झा
प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृत एवं पुरातत्व विभाग
Literary Discourses
Literary Discourses
ISSN : 0976 - 2035
A peer reviewed international research journal of literature and arts
Volume - 02 |
Number - 01
May 2011